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रक्षाबंधन की सम्पूर्ण जानकारी
Rakshabandhan 2024 – Everything You Should Know

Rakshabandhan 2024

रक्षाबंधन या राखी का त्योंहार बस कुछ ही दिन दूर है और आपने भी इस मस्ती मज़ाक वाले त्योंहार की तैयारियां शुरू कर दी होंगी। इस त्योंहार के आने से पहले बड़ी बड़ी कंपनियां अपने सामान जैसे की मिठाइयां, चॉकलेट्स, इत्यादि का विज्ञापन टेलीविज़न और मोबाइल पे शुरू कर देती हैं जिससे की आपको ख़रीददादरी करने का सम्पूर्ण समय मिल सके। जो आपको राखी बांधता है उसने अभी तक तो आपको सूची भी भेज दी होगी की उसे इस वर्ष आपसे क्या क्या उपहार चाहिए। इन सभी बातों को अलग रख के हम इस त्योंहार की गहराइयों में चलते हैं।

रक्षाबंधन भाई बहन के मज़बूत रिश्ते का प्रतीक है। यह पर्व एक बहन को यह यकीन दिलाता है की कोई है जो उसके साथ कभी गलत नहीं होने देगा और यदि कोई उसके साथ गलत करता है तो वह उसे सबक सिखाएगा। सभी स्तिथि में एक भाई अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ेगा। परन्तु क्या यह पर्व बस भाई बहन तक सीमित है? नहीं, यह पर्व आप हर उस व्यक्ति के साथ मन सकते हैं जिनकी सुरक्षा का दायित्व आपके ज़िम्मेदार कन्धों पे है, जैसे की आपका मित्र, आपके परिवार का कोई भी सदस्य, कोई अनाथ जिसका कोई नहीं है, आपके आस पड़ोस के लोग, आदि। यह एक ऐसा मधुर अनुष्ठान है, जिसकी जड़ें इतिहास और परंपरा में हैं और इसने कई पुनरावृत्तियों के साथ धर्मनिरपेक्ष दुनिया में अपनी जगह बना ली है, हालांकि यह अभी भी आजीवन मित्रता और समर्थन के उसी रिश्ते को दर्शाता है।

रक्षाबंधन या राखी का पर्व कब मनाया जाता है?

भारत में, रक्षाबंधन या राखी का पर्व पवित्र सनातन (हिंदू) माह श्रावण या सावन की पूर्णिमा के दिन होता है। इस वर्ष यह 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा।

जिस त्योंहार की तैयारी एक माह पूर्व शुरू कर दी जाती है, वह त्योंहार कितना ख़ास होता होगा यह आप सभी जानते हैं। देश विदेश में रहने वाले परिवार के सभी सदस्य यह प्रयत्न करते हैं की वह इस पर्व पे अपने परिवार के साथ रहे जिसके लिए वह रेलगाड़ी या हवाईजहाज़ की टिकट कराने में तनिक भी विलम्भ नहीं करते। सभी अपने अनुसार इस पर्व के लिए उनके सबसे अच्छे कपडे पहनते हैं। शुभ मुहूर्त से पूर्व परिवार के सभी लोग एक जगह आ जाते हैं और हाजी मज़ाक से समस्त घर में ख़ुशी का माहौल शुरू हो जाता है। शुभ मुहूर्त का आरम्भ होते ही सबसे पहले घर के सबसे बड़े भैया की कलाई पे राखी बांदी जाती है और इसके बाद उनके छोटे भाइयों को। राखी एक मामूली सी डोरी भी हो सकती है और एक डोरी जिसमें सुन्दर आभूषण भी सजे हो सकते हैं।

राखी बाँधने के बाद बहन (या जिसने आपको राखी बाँधी हो) वह आरती करती है। आरती की थाली में रोली यानी शुभ लाल रंग का पदार्थ जो सबसे पहले बहन अपने भाई के माथे पे लगाती है और उसके बाद चांवल। दीप प्रज्ज्वलित करके आरती की थाली सामने बैठे भाई के समक्ष कुछ बार घुमाती है और रक्षा बंधन का पर्व पूर्ण करती है। उसके बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाती है और भाई अपनी बहन को उपहार या पैसे देते हैं। परिवार के वे लोग जो किसी कारण से घर नहीं आ सके, बहनों का यह फ़र्ज़ है की वे उनको राखी डाक के माध्यम से रक्षाबंधन के पूर्व ही उनके पास भेज दें।

विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में रक्षाबंधन का पर्व

राखी के त्यौहार की जड़ें मुख्य रूप से हिंदू धर्म में हैं। लेकिन दोस्ती और बंधन का गहरा अर्थ होने के कारण इसने विभिन्न समुदायों के बीच प्रेम और भाईचारे के प्रतीकात्मक संकेत के रूप में धर्मनिरपेक्ष दुनिया में अपनी जगह बना ली है। राखी ने धार्मिक सिद्धांतों की सीमाओं को पार कर लिया है और उन सभी के लिए एक व्यापक समारोह बन गया है जो अपने जीवन में प्रेम और भाईचारे को महत्व देते हैं।

जैन धर्म और सिख धर्म दो धर्म हैं जो हिंदू धर्म से प्राप्त हुए हैं; दोनों समुदायों में अपनी-अपनी पुनरावृत्तियों में राखी की प्रथा भी है। जैन धर्म में, पुजारी अपने भक्तों को राखी देते हैं, जबकि सिख धर्म में राखी को इसी तरह मनाया जाता है और इसे ‘राखड़ी’ या ‘राखरी’ कहा जाता है।

पुराणों में उत्पत्ति

अधिकांश धार्मिक अनुष्ठानों की तरह, राखी की उत्पत्ति भी विभिन्न हिंदू पौराणिक कहानियों में हुई है। कुछ प्रारंभिक ग्रंथों में राखी को वज्र के देवता इंद्र और उनकी पत्नी शची द्वारा मनाए जाने का उल्लेख है। कहानी दर्शाती है कि देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध हुआ और राक्षस राजा बाली को हराया नहीं जा सका। इस तरह के खूनी युद्ध को देखकर, इंद्र की पत्नी शची ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें एक पवित्र सूती धागा दिया। इसे उन्होंने अपने पति भगवान इंद्र की कलाई पर बांधा, जो तब युद्ध में विजयी हुए।

विष्णु पुराण में पाए गए एक और थोड़े अलग वृत्तांत के अनुसार, यह कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने तीनों लोकों को जीतने के बाद राक्षस राजा बलि को उनके साथ रहने का वचन दिया था। लेकिन उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी अपने पवित्र निवास वैकुंठ लौटना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने राजा बलि की कलाई पर राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बना लिया। जब वह उसे इस भाव के लिए एक उपहार देने के लिए बाध्य हुआ, तो उसने उससे अपने पति को प्रतिज्ञा से मुक्त करने के लिए कहा ताकि वे वैकुंठ लौट सकें, जिस पर बाली सहमत हो गया।

हिंदू धर्म के पौराणिक पात्रों द्वारा राखी की रस्म निभाने के अन्य वृत्तांत हैं, महाभारत में द्रौपदी को भगवान कृष्ण की बांह पर राखी बांधते हुए दिखाया गया है, जबकि उनकी सास कुंती ने कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले अपने पोते अभिमन्यु की बांहों पर राखी बांधी थी। .

राखी का अर्थ – आधुनिक सन्दर्भ में

राखी भारतीयों के लिए एक छुट्टी से कहीं अधिक है। इसके नाजुक धागे से एक गहरा विशेष अर्थ जुड़ा हुआ है, जो दुनिया की सबसे प्यारी दोस्ती और रिश्तों के लिए एक मधुर रूपक है। राखी के धागे की तरह, जिसे नाजुक ढंग से संभालने की आवश्यकता होती है और दृढ़ संकल्प के साथ बांधने पर यह मजबूत हो सकता है, इस विशेष दिन को मनाने वालों के बीच ऐसा ही प्यार और भाईचारा है। रिश्तों को सुरक्षा प्रदान करने वाली मजबूत गांठ को बनाए रखने के लिए दोनों तरफ से निरंतर देखभाल और सुरक्षा की भी आवश्यकता होती है।

भक्तिभाव की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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