Sampoorna Shiv Amritwani | सम्पूर्ण शिव अमृतवाणी
Lyrics in Hindi & English

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Sampoorna Shiv Amritwani Lyrics in Hindi

सम्पूर्ण शिव अमृतवाणी

 

॥ भाग १ ॥

कल्पतरु पुन्यातामा,
प्रेम सुधा शिव नाम
हितकारक संजीवनी,
शिव चिंतन अविराम
पतिक पावन जैसे मधुर,
शिव रसन के घोलक
भक्ति के हंसा ही चुगे,
मोती ये अनमोल
जैसे तनिक सुहागा,
सोने को चमकाए
शिव सुमिरन से आत्मा,
अद्भुत निखरी जाये
जैसे चन्दन वृक्ष को,
डसते नहीं है नाग
शिव भक्तो के चोले को,
कभी लगे न दाग

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

दयानिधि भूतेश्वर,
शिव है चतुर सुजान
कण कण भीतर है बसे,
नील कंठ भगवान
चंद्रचूड के त्रिनेत्र,
उमा पति विश्वास
शरणागत के ये सदा,
काटे सकल क्लेश
शिव द्वारे प्रपंच का,
चल नहीं सकता खेल
आग और पानी का,
जैसे होता नहीं है मेल
भय भंजन नटराज है,
डमरू वाले नाथ
शिव का वंदन जो करे,
शिव है उनके साथ

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

लाखो अश्वमेध हो,
सौ गंगा स्नान
इनसे उत्तम है कही,
शिव चरणों का ध्यान
अलख निरंजन नाद से,
उपजे आत्मज्ञान
भटके को रास्ता मिले,
मुश्किल हो आसान
अमर गुणों की खान है,
चित शुद्धि शिव जाप
सत्संगति में बैठ कर,
करलो पश्चाताप
लिंगेश्वर के मनन से,
सिद्ध हो जाते काज
नमः शिवाय रटता जा,
शिव रखेंगे लाज

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

शिव चरणों को छूने से,
तन मन पावन होये
शिव के रूप अनूप की,
समता करे न कोई
महाबलि महादेव है,
महाप्रभु महाकाल
असुराणखण्डन भक्त की,
पीड़ा हरे तत्काल
सर्व व्यापी शिव भोला,
धर्म रूप सुख काज
अमर अनंता भगवंता,
जग के पालन हार
शिव करता संसार के,
शिव सृष्टि के मूल
रोम रोम शिव रमने दो,
शिव न जईओ भूल

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

॥ भाग २ – ३ ॥

शिव अमृत की पावन धारा,
धो देती हर कष्ट हमारा
शिव का काज सदा सुखदायी,
शिव के बिन है कौन सहायी
शिव की निसदिन कीजो भक्ति,
देंगे शिव हर भय से मुक्ति
माथे धरो शिव नाम की धुली,
टूट जायेगी यम कि सूली
शिव का साधक दुःख ना माने,
शिव को हरपल सम्मुख जाने
सौंप दी जिसने शिव को डोर,
लूटे ना उसको पांचो चोर
शिव सागर में जो जन डूबे,
संकट से वो हंस के जूझे
शिव है जिनके संगी साथी,
उन्हें ना विपदा कभी सताती
शिव भक्तन का पकडे हाथ,
शिव संतन के सदा ही साथ
शिव ने है बृह्माण्ड रचाया,
तीनो लोक है शिव कि माया
जिन पे शिव की करुणा होती,
वो कंकड़ बन जाते मोती
शिव संग तान प्रेम की जोड़ो,
शिव के चरण कभी ना छोडो
शिव में मनवा मन को रंग ले,
शिव मस्तक की रेखा बदले
शिव हर जन की नस-नस जाने,
बुरा भला वो सब पहचाने
अजर अमर है शिव अविनाशी,
शिव पूजन से कटे चौरासी
यहाँ-वहाँ शिव सर्व व्यापक,
शिव की दया के बनिये याचक
शिव को दीजो सच्ची निष्ठा,
होने न देना शिव को रुष्टा
शिव है श्रद्धा के ही भूखे,
भोग लगे चाहे रूखे-सूखे
भावना शिव को बस में करती,
प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती
शिव कहते है मन से जागो,
प्रेम करो अभिमान त्यागो

॥ दोहा ॥

दुनिया का मोह त्याग के
शिव में रहिये लीन।
सुख-दुःख हानि-लाभ तो
शिव के ही है अधीन॥

भस्म रमैया पार्वती वल्ल्भ,
शिव फलदायक शिव है दुर्लभ
महा कौतुकी है शिव शंकर,
त्रिशूलधारी शिव अभयंकर
शिव की रचना धरती अम्बर,
देवो के स्वामी शिव है दिगंबर
काल दहन शिव रूण्डन पोषित,
होने न देते धर्म को दूषित
दुर्गापति शिव गिरिजानाथ,
देते है सुखों की प्रभात
सृष्टिकर्ता त्रिपुरधारी,
शिव की महिमा कही ना जाती
दिव्य तेज के रवि है शंकर,
पूजे हम सब तभी है शंकर
शिव सम और कोई और न दानी,
शिव की भक्ति है कल्याणी
कहते मुनिवर गुणी स्थानी,
शिव की बातें शिव ही जाने
भक्तों का है शिव प्रिय हलाहल,
नेकी का रस बाटँते हर पल
सबके मनोरथ सिद्ध कर देते,
सबकी चिंता शिव हर लेते
बम भोला अवधूत सवरूपा,
शिव दर्शन है अति अनुपा
अनुकम्पा का शिव है झरना,
हरने वाले सबकी तृष्णा
भूतो के अधिपति है शंकर,
निर्मल मन शुभ मति है शंकर
काम के शत्रु विष के नाशक,
शिव महायोगी भय विनाशक
रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी,
शिव के जैसा कौन तपस्वी
हिमगिरी पर्वत शिव का डेरा,
शिव सम्मुख न टिके अंधेरा
लाखों सूरज की शिव ज्योति,
शस्त्रों में शिव उपमान होती
शिव है जग के सृजन हारे,
बंधु सखा शिव इष्ट हमारे
गौ ब्राह्मण के वे हितकारी,
कोई न शिव सा पर उपकारी

॥ दोहा ॥

शिव करुणा के स्रोत है
शिव से करियो प्रीत।
शिव ही परम पुनीत है
शिव साचे मन मीत॥

शिव सर्पो के भूषणधारी,
पाप के भक्षण शिव त्रिपुरारी
जटाजूट शिव चंद्रशेखर,
विश्व के रक्षक कला कलेश्वर
शिव की वंदना करने वाला,
धन वैभव पा जाये निराला
कष्ट निवारक शिव की पूजा,
शिव सा दयालु और ना दूजा
पंचमुखी जब रूप दिखावे,
दानव दल में भय छा जावे
डम-डम डमरू जब भी बोले,
चोर निशाचर का मन डोले
घोट घाट जब भंग चढ़ावे,
क्या है लीला समझ ना आवे
शिव है योगी शिव सन्यासी,
शिव ही है कैलास के वासी
शिव का दास सदा निर्भीक,
शिव के धाम बड़े रमणीक
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे,
शिव की मूरत राखो मन में
शिव का अर्चन मंगलकारी,
मुक्ति साधन भव भयहारी
भक्त वत्सल दीन दयाला,
ज्ञान सुधा है शिव कृपाला
शिव नाम की नौका है न्यारी,
जिसने सबकी चिंता टारी
जीवन सिंधु सहज जो तरना,
शिव का हरपल नाम सुमिरना
तारकासुर को मारने वाले,
शिव है भक्तो के रखवाले
शिव की लीला के गुण गाना,
शिव को भूल के ना बिसराना
अन्धकासुर से देव बचाये,
शिव ने अद्भुत खेल दिखाये
शिव चरणो से लिपटे रहिये,
मुख से शिव शिव जय शिव कहिये
भाष्मासुर को वर दे डाला,
शिव है कैसा भोला भाला
शिव तीर्थो का दर्शन कीजो,
मन चाहे वर शिव से लीजो

॥ दोहा ॥

शिव शंकर के जाप से
मिट जाते सब रोग।
शिव का अनुग्रह होते ही
पीड़ा ना देते शोक॥

ब्र्हमा विष्णु शिव अनुगामी,
शिव है दीन हीन के स्वामी
निर्बल के बलरूप है शम्भु,
प्यासे को जलरूप है शम्भु
रावण शिव का भक्त निराला,
शिव को दी दस शीश कि माला
गर्व से जब कैलाश उठाया,
शिव ने अंगूठे से था दबाया
दुःख निवारण नाम है शिव का,
रत्न है वो बिन दाम शिव का
शिव है सबके भाग्यविधाता,
शिव का सुमिरन है फलदाता
शिव दधीचि के भगवंता,
शिव की तरी अमर अनंता
शिव का सेवादार सुदर्शन,
सांसे कर दी शिव को अर्पण
महादेव शिव औघड़दानी,
बायें अंग में सजे भवानी
शिव शक्ति का मेल निराला,
शिव का हर एक खेल निराला
शम्भर नामी भक्त को तारा,
चन्द्रसेन का शोक निवारा
पिंगला ने जब शिव को ध्याया,
देह छूटी और मोक्ष पाया
गोकर्ण की चन चूका अनारी,
भव सागर से पार उतारी
अनसुइया ने किया आराधन,
टूटे चिन्ता के सब बंधन
बेल पत्तो से पूजा करे चण्डाली,
शिव की अनुकम्पा हुई निराली
मार्कण्डेय की भक्ति है शिव,
दुर्वासा की शक्ति है शिव
राम प्रभु ने शिव आराधा,
सेतु की हर टल गई बाधा
धनुषबाण था पाया शिव से,
बल का सागर तब आया शिव से
श्री कृष्ण ने जब था ध्याया,
दस पुत्रों का वर था पाया
हम सेवक तो स्वामी शिव है,
अनहद अन्तर्यामी शिव है

॥ दोहा ॥

दीन दयालु शिव मेरे,
शिव के रहियो दास।
घट घट की शिव जानते,
शिव पर रख विश्वास॥

परशुराम ने शिव गुण गाया,
कीन्हा तप और फरसा पाया
निर्गुण भी शिव शिव निराकार,
शिव है सृष्टि के आधार
शिव ही होते मूर्तिमान,
शिव ही करते जग कल्याण
शिव में व्यापक दुनिया सारी,
शिव की सिद्धि है भयहारी
शिव है बाहर शिव ही अन्दर,
शिव ही रचना सात समुन्द्र
शिव है हर इक मन के भीतर,
शिव है हर एक कण कण के भीतर
तन में बैठा शिव ही बोले,
दिल की धड़कन में शिव डोले
हम कठपुतली शिव ही नचाता,
नयनों को पर नजर ना आता
माटी के रंगदार खिलौने,
साँवल सुन्दर और सलोने
शिव ही जोड़े शिव ही तोड़े,
शिव तो किसी को खुला ना छोड़े
आत्मा शिव परमात्मा शिव है,
दयाभाव धर्मात्मा शिव है
शिव ही दीपक शिव ही बाती,
शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी
सब देवो में ज्येष्ठ शिव है,
सकल गुणो में श्रेष्ठ शिव है
जब ये ताण्डव करने लगता,
बृह्माण्ड सारा डरने लगता
तीसरा चक्षु जब जब खोले,
त्राहि-त्राहि यह जग बोले
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना,
आस्था लग्न बनाये रखना
विष्णु ने की शिव की पूजा,
कमल चढाऊँ मन में सूझा
एक कमल जो कम था पाया,
अपना सुंदर नयन चढ़ाया
साक्षात तब शिव थे आये,
कमल नयन विष्णु कहलाये
इन्द्रधनुष के रंगो में शिव,
संतो के सत्संगों में शिव

॥ दोहा ॥

महाकाल के भक्त को,
मार ना सकता काल।
द्वार खड़े यमराज को,
शिव है देते टाल॥

यज्ञ सूदन महा रौद्र शिव है,
आनन्द मूरत नटवर शिव है
शिव ही है श्मशान के वासी,
शिव काटें मृत्युलोक की फांसी
व्याघ्र चरम कमर में सोहे,
शिव भक्तों के मन को मोहे
नन्दी गण पर करे सवारी,
आदिनाथ शिव गंगाधारी
काल के भी तो काल है शंकर,
विषधारी जगपाल है शंकर
महासती के पति है शंकर,
दीन सखा शुभ मति है शंकर
लाखो शशि के सम मुख वाले,
भंग धतूरे के मतवाले
काल भैरव भूतो के स्वामी,
शिव से कांपे सब फलगामी
शिव है कपाली शिव भष्मांगी,
शिव की दया हर जीव ने मांगी
मंगलकर्ता मंगलहारी,
देव शिरोमणि महासुखकारी
जल तथा विल्व करे जो अर्पण,
श्रद्धा भाव से करे समर्पण
शिव सदा उनकी करते रक्षा,
सत्यकर्म की देते शिक्षा
लिंग पर चंदन लेप जो करते,
उनके शिव भंडार हैं भरते
६४ योगनी शिव के बस में,
शिव है नहाते भक्ति रस में
वासुकि नाग कण्ठ की शोभा,
आशुतोष है शिव महादेवा
विश्वमूर्ति करुणानिधान,
महा मृत्युंजय शिव भगवान
शिव धारे रुद्राक्ष की माला,
नीलेश्वर शिव डमरू वाला
पाप का शोधक मुक्ति साधन,
शिव करते निर्दयी का मर्दन

॥ दोहा ॥

शिव सुमरिन के नीर से,
धूल जाते है पाप।
पवन चले शिव नाम की,
उड़ते दुख संताप॥

पंचाक्षर का मंत्र शिव है,
साक्षात सर्वेश्वर शिव है
शिव को नमन करे जग सारा,
शिव का है ये सकल पसारा
क्षीर सागर को मथने वाले,
ऋद्धि-सिद्धि सुख देने वाले
अहंकार के शिव है विनाशक,
धर्म-दीप ज्योति प्रकाशक
शिव बिछुवन के कुण्डलधारी,
शिव की माया सृष्टि सारी
महानन्दा ने किया शिव चिन्तन,
रुद्राक्ष माला किन्ही धारण
भवसिन्धु से शिव ने तारा,
शिव अनुकम्पा अपरम्पारा
त्रि-जगत के यश है शिवजी,
दिव्य तेज गौरीश है शिवजी
महाभार को सहने वाले,
वैर रहित दया करने वाले
गुण स्वरूप है शिव अनूपा,
अम्बानाथ है शिव तपरूपा
शिव चण्डीश परम सुख ज्योति,
शिव करुणा के उज्ज्वल मोती
पुण्यात्मा शिव योगेश्वर,
महादयालु शिव शरणेश्वर
शिव चरणन पे मस्तक धरिये,
श्रद्धा भाव से अर्चन करिये
मन को शिवाला रूप बना लो,
रोम-रोम में शिव को रमा लो
माथे जो भक्त धूल धरेंगे,
धन और धन से कोष भरेंगे
शिव का बाक भी बनना जावे,
शिव का दास परम पद पावे
दशों दिशाओं मे शिव दृष्टि,
सब पर शिव की कृपा दृष्टि
शिव को सदा ही सम्मुख जानो,
कण-कण बीच बसे ही मानो
शिव को सौंपो जीवन नैया,
शिव है संकट टाल खिवैया
अंजलि बाँध करे जो वंदन,
भय जंजाल के टूटे बन्धन

॥ दोहा ॥

जिनकी रक्षा शिव करे,
मारे न उसको कोय।
आग की नदिया से बचे,
बाल ना बांका होय॥

शिव दाता भोला भण्डारी,
शिव कैलाशी कला बिहारी
सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता,
विघ्न विनाशक बाधा हर्ता
शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी,
शिव से पृथ्वी है उजियारी
गगन दीप भी माया शिव की,
कामधेनु है छाया शिव की
गंगा में शिव, शिव मे गंगा,
शिव के तारे तुरत कुसंगा
शिव के कर में सजे त्रिशूला,
शिव के बिना ये जग निर्मूला
स्वर्णमयी शिव जटा निराळी,
शिव शम्भू की छटा निराली
जो जन शिव की महिमा गाये,
शिव से फल मनवांछित पाये
शिव पग पँकज सवर्ग समाना,
शिव पाये जो तजे अभिमाना
शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें,
शिव का जादू सिर चढ बोले
परमानन्द अनन्त स्वरूपा,
शिव की शरण पड़े सब कूपा
शिव की जपियो हर पल माळा,
शिव की नजर मे तीनो क़ाला
अन्तर घट मे इसे बसा लो,
दिव्य जोत से जोत मिला लो
नम: शिवाय जपे जो स्वासा,
पूरीं हो हर मन की आसा

॥ दोहा ॥

परमपिता परमात्मा,
पूरण सच्चिदानन्द।
शिव के दर्शन से मिले,
सुखदायक आनन्द॥

शिव से बेमुख कभी ना होना,
शिव सुमिरन के मोती पिरोना
जिसने भजन है शिव के सीखे,
उसको शिव हर जगह ही दिखे
प्रीत में शिव है शिव में प्रीती,
शिव सम्मुख न चले अनीति
शिव नाम की मधुर सुगन्धी,
जिसने मस्त कियो रे नन्दी
शिव निर्मल निर्दोष निराले,
शिव ही अपना विरद संभाले
परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता,
भक्तो ने शिव प्रेम से जीता

॥ दोहा ॥

आंठो पहर आराधिए,
ज्योतिर्लिंग शिव रूप।
नयनं बीच बसाइये,
शिव का रूप अनूप॥

लिंग मय सारा जगत हैं,
लिंग धरती आकाश
लिंग चिंतन से होत है,
सब पापो का नाश
लिंग पवन का वेग है,
लिंग अग्नि की ज्योत
लिंग से पाताल है,
लिंग वरुण का स्त्रोत
लिंग से हैं वनस्पति,
लिंग ही हैं फल फूल
लिंग ही रत्न स्वरूप हैं,
लिंग माटी निर्धूप

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

लिंग ही जीवन रूप हैं,
लिंग मृत्युलिंगकार
लिंग मेघा घनघोर हैं,
लिंग ही हैं उपचार
ज्योतिर्लिंग की साधना,
करते हैं तीनो लोग
लिंग ही मंत्र जाप हैं,
लिंग का रूम श्लोक
लिंग से बने पुराण हैं,
लिंग वेदो का सार
रिधिया सिद्धिया लिंग हैं,
लिंग करता करतार
प्रातकाल लिंग पूजिये,
पूर्ण हो सब काज
लिंग पे करो विश्वास तो,
लिंग रखेंगे लाज

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

सकल मनोरथ से होत हैं,
दुखो का अंत
ज्योतिर्लिंग के नाम से,
सुमिरत जो भगवंत
मानव दानव ऋषिमुनि,
ज्योतिर्लिंग के दास
सर्व व्यापक लिंग हैं,
पूरी करे हर आस
शिव रुपी इस लिंग को,
पूजे सब अवतार
ज्योतिर्लिंगों की दया,
सपने करे साकार
लिंग पे चढ़ने वैद्य का,
जो जन ले परसाद
उनके ह्रदय में बजे,
शिव करूणा का नाद

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

महिमा ज्योतिर्लिंग की,
जाएंगे जो लोग
भय से मुक्ति पाएंगे,
रोग रहे न शोब
शिव के चरण सरोज तू,
ज्योतिर्लिंग में देख
सर्व व्यापी शिव बदले,
भाग्य तीरे
डारीं ज्योतिर्लिंग पे,
गंगा जल की धार
करेंगे गंगाधर तुझे,
भव सिंधु से पार
चित सिद्धि हो जाए रे,
लिंगो का कर ध्यान
लिंग ही अमृत कलश हैं,
लिंग ही दया निधान

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय!

॥ भाग ४ – ५ ॥

ज्योतिर्लिंग है शिव की ज्योति,
ज्योतिर्लिंग है दया का मोती
ज्योतिर्लिंग है रत्नों की खान,
ज्योतिर्लिंग में रमा जहान
ज्योतिर्लिंग का तेज़ निराला,
धन सम्पति का देने वाला
ज्योतिर्लिंग में है नट नागर,
अमर गुणों का है ये सागर
ज्योतिर्लिंग की कीजो सेवा,
ज्ञान पान का पाओगे मेवा
ज्योतिर्लिंग है पिता सामान,
सष्टि इसकी है संतान
ज्योतिर्लिंग है इष्ट प्यारे,
ज्योतिर्लिंग है सखा हमारे
ज्योतिर्लिंग है नारीश्वर,
ज्योतिर्लिंग है शिव विमलेश्वर
ज्योतिर्लिंग गोपेश्वर दाता,
ज्योतिर्लिंग है विधि विधाता
ज्योतिर्लिंग है शर्रेंडश्वर स्वामी,
ज्योतिर्लिंग है अन्तर्यामी
सतयुग में रत्नो से शोभित,
देव जनो के मन को मोहित
ज्योतिर्लिंग है अत्यंत सुन्दर,
छत्ता इसकी ब्रह्माण्ड अंदर
त्रेता युग में स्वर्ण सजाता,
सुख सूरज ये ध्यान ध्वजाता
सक्ल सृष्टि मन की करती,
निसदिन पूजा भजन भी करती
द्वापर युग में पारस निर्मित,
गुणी ज्ञानी सुर नर सेवी
ज्योतिर्लिंग सबके मन को भाता,
महमारक को मार भगाता
कलयुग में पार्थिव की मूरत,
ज्योतिर्लिंग नंदकेश्वर सूरत
भक्ति शक्ति का वरदाता,
जो दाता को हंस बनता
ज्योतिर्लिंग पर पुष्प चढ़ाओ,
केसर चन्दन तिलक लगाओ
जो जन करें दूध का अर्पण,
उजले हो उनके मन दर्पण

॥ दोहा ॥

ज्योतिर्लिंग के जाप से,
तन मन निर्मल होये।
इसके भक्तों का मनवा,
करे न विचलित कोई॥

सोमनाथ सुख करने वाला,
सोम के संकट हरने वाला
दक्ष श्राप से सोम छुड़ाया,
सोम है शिव की अद्भुत माया
चंद्र देव ने किया जो वंदन,
सोम ने काटे दुःख के बंधन
ज्योतिर्लिंग है सदा सुखदायी,
दीन हीन का सहायी
भक्ति भाव से इसे जो ध्याये,
मन वाणी शीतल तर जाये
शिव की आत्मा रूप सोम है,
प्रभु परमात्मा रूप सोम है
यहाँ उपासना चंद्र ने की,
शिव ने उसकी चिंता हर ली
इस तीर्थ की शोभा न्यारी,
शिव अमृत सागर भवभयधारी
चंद्र कुंड में जो भी नहाये,
पाप से वे जन मुक्ति पाए
छ: कुष्ठ सब रोग मिटाये,
नाया कुंदन पल में बनावे
मलिकार्जुन है नाम न्यारा,
शिव का पावन धाम प्यारा
कार्तिकेय है जब शिव से रूठे,
माता पिता के चरण है छूते
श्री शैलेश पर्वत जा पहुंचे,
कष्ट भय पार्वती के मन में
प्रभु कुमार से चली जो मिलने,
संग चलना माना शंकर ने
श्री शैलेश पर्वत के ऊपर,
गए जो दोनों उमा महेश्वर
उन्हें देखकर कार्तिकेय उठ भागे,
और कुमार पर्वत पर विराजे
यहाँ श्रित हुए पारवती शंकर,
काम बनावे शिव का सुन्दर
शिव का अर्जुन नाम सुहाता,
मलिका है मेरी पारवती माता
लिंग रूप हो जहाँ भी रहते,
मलिकार्जुन है उसको कहते
मनवांछित फल देने वाला,
निर्बल को बल देने वाला

॥ दोहा ॥

ज्योतिर्लिंग के नाम की,
ले मन माला फेर।
मनोकामना पूरी होगी,
लगे न क्षिण भी देर॥

उज्जैन की नदी क्षिप्रा किनारे,
ब्राह्मण थे शिव भक्त न्यारे
दूषण दैत्य सताता निसदिन,
गर्म द्वेश दिखलाता जिस दिन
एक दिन नगरी के नर नारी,
दुखी हो राक्षस से अतिहारी
परम सिद्ध ब्राह्मण से बोले,
दैत्य के डर से हर कोई डोले
दुष्ट निसाचर छुटकारा,
पाने को यज्ञ प्यारा
ब्राह्मण तप ने रंग दिखाए,
पृथ्वी फाड़ महाकाल आये
राक्षस को हुंकार से मारा,
भय से भक्तों उबारा
आग्रह भक्तों ने जो कीन्हा,
महाकाल ने वर था दीना
ज्योतिर्लिंग हो रहूं यहाँ पर,
इच्छा पूर्ण करूँ यहाँ पर
जो कोई मन से मुझको पुकारे,
उसको दूंगा वैभव सारे
उज्जैनी राजा के पास मणि थी,
अद्भुत बड़ी ही ख़ास
जिसे छीनने का षड़यंत्र,
किया था कल्यों ने ही मिलकर
मणि बचाने की आशा में,
शत्रु भी कई थे अभिलाषा में
शिव मंदिर में डेरा जमाकर,
खो गए शिव का ध्यान लगाकर
एक बालक ने हद ही कर दी,
उस राजा की देखा देखी
एक साधारण सा पत्थर लेकर,
पहुंचा अपनी कुटिया भीतर
शिवलिंग मान के वे पाषाण,
पूजने लगा शिव भगवान्
उसकी भक्ति चुम्बक से,
खींचे ही चले आये झट से भगवान्
ओमकार ओमकार की रट सुनकर,
प्रतिष्ठित ओमकार बनकर
ओम्कारेश्वर वही है धाम,
बन जाए बिगड़े जहाँ पे काम
नर नारायण ये दो अवतार,
भोलेनाथ को था जिनसे प्यार
पत्थर का शिवलिंग बनाकर,
नमः शिवाय की धुन गाकर

॥ दोहा ॥

शिव शंकर ओमकार का,
रट ले मनवा नाम।
जीवन की हर राह में,
शिवजी लेंगे काम॥

नर नारायण ये दो अवतार,
भोलेनाथ को था जिनसे प्यार
पत्थर का शिवलिंग बनाकर,
नमः शिवाय की धुन गाकर
कई वर्ष तप किया शिव का,
पूजा और जप किया शंकर का
शिव दर्शन को अंखिया प्यासी,
आ गए एक दिन शिव कैलाशी
नर नारायण से शिव है बोले,
दया के मैंने द्वार है खोले
जो हो इच्छा लो वरदान,
भक्त के बस में है भगवान्
करवाने की भक्त ने विनती,
कर दो पवन प्रभु ये धरती
तरस रहा केदार का खंड ये,
बन जाये अमृत उत्तम कुंड ये
शिव ने उनकी मानी बात,
बन गया बेनी केदानाथ
मंगलदायी धाम शिव का,
गूंज रहा जहाँ नाम शिव का
कुम्भकरण का बेटा भीम,
ब्रह्मवार का हुआ बलि असीर
इंद्रदेव को उसने हराया,
काम रूप में गरजता आया
कैद किया था राजा सुदक्षण,
कारागार में करे शिव पूजन
किसी ने भीम को जा बतलाया,
क्रोध से भर के वो वहाँ आया
पार्थिव लिंग पर मार हथोड़ा,
जग का पावन शिवलिंग तोडा
प्रकट हुए शिव तांडव करते,
लगा भागने भीम था डर के
डमरू धार ने देकर झटका,
धरा पे पापी दानव पटका
ऐसा रूप विक्राल बनाया,
पल में राक्षस मार गिराया
बन गए भोले जी प्रयलंकार,
भीम मार के हुए भीमशंकर
शिव की कैसी अलौकिक माया,
आज तलक कोई जान न पाया
परमेश्वर ने एक दिन भक्तों,
जानना चाहा एक में दो को
नारी पुरुष हो प्रकटे शिवजी,
परमेश्वर के रूप हैं शिवजी
नाम पुरुष का हो गया शिवजी,
नारी बनी थी अम्बा शक्ति
परमेश्वर की आज्ञा पाकर,
तपी बने दोनों समाधि लगाकर
शिव ने अद्भुत तेज़ दिखाया,
पांच कोष का नगर बसाया
ज्योतिर्मय हो गया आकाश,
नगरी सिद्ध हुई पुरुष के पास
शिव ने की तब सृष्टि की रचना,
पड़ा उस नगरों को कशी बनना
पाठ पौष के कारण तब ही,
इसको कहते हैं पंचकोशी
विश्वेश्वर ने इसे बसाया,
विश्वनाथ ये तभी कहलाया
जहाँ नमन जो मन से करते,
सिद्ध मनोरथ उनके होते
ब्रह्मगिरि पर तप गौतम लेकर,
पाए कितनो के सिद्ध लेकर
तृषा ने कुछ ऋषि भटकाए,
गौतम के वैरी बन आये
द्वेष का सबने जाल बिछाया,
गौ हत्या का दोष लगाया
और कहा तुम प्रायश्चित्त करना,
स्वर्गलोक से गंगा लाना
एक करोड़ शिवलिंग लगाकर,
गौतम की तप ज्योत उजागर
प्रकट शिव और शिवा वहाँ पर,
माँगा ऋषि ने गंगा का वर
शिव से गंगा ने विनय की,
ऐसे प्रभु में जहाँ न रहूंगी
ज्योतिर्लिंग प्रभु आप बन जाए,
फिर मेरी निर्मल धरा बहाये
शिव ने मानी गंगा की विनती,
गंगा बानी झटपट गौतमी
त्रियंबकेश्वर है शिवजी विराजे,
जिनका जग में डंका बाजे

॥ दोहा ॥

गंगा धर की अर्चना,
करे जो मन्चित लाये।
शिव करुणा से उनपर,
आंच कभी न आये॥

राक्षस राज महाबली रावण,
ने जब किया शिव तप से वंदन
भये प्रसन्न शम्भू प्रगटे,
दिया वरदान रावण पग पढ़के
ज्योतिर्लिंग लंका ले जाओ,
सदा ही शिव शिव जय शिव गाओ
प्रभु ने उसकी अर्चन मानी,
और कहा रहे सावधानी
रस्ते में इसको धरा पे न धरना,
यदि धरेगा तो फिर न उठना
शिवलिंग रावण ने उठाया,
गरुड़देव ने रंग दिखाया
उसे प्रतीत हुई लघुशंका,
धीरज खोया उसने मन का
विष्णु ब्राह्मण रूप में आये,
ज्योतिर्लिंग दिया उसे थमाए
रावण निभ्यात हो जब आया,
ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर पाया
जी भर उसने जोर लगाया,
गया न फिर से उठाया
लिंग गया पाताल में उस पल,
अध्अंगुल रहा भूमि ऊपर
पूरी रात लंकेश पछताया,
चंद्रकूप फिर कूप बनाया
उसमे तीर्थों का जल डाला,
नमो शिवाय की फेरी माला
जल से किया था लिंग-अभिषेका,
जय शिव ने भी दृश्य देखा
रत्न पूजन का उसे उन कीन्हा,
नटवर पूजा का उसे वर दीना
पूजा करि मेरे मन को भावे,
वैधनाथ ये सदा कहाये
मनवांछित फल मिलते रहेंगे,
सूखे उपवन खिलते रहेंगे
गंगा जल जो कांवड़ लावे,
भक्तजन मेरे परम पद पावे
ऐसा अनुपम धाम है शिव का,
मुक्तिदाता नाम है शिव का
भक्तन की यहाँ हरी बनाये,
बोल बम बोल बम जो न गाये

॥ दोहा ॥

बैधनाथ भगवान् की,
पूजा करो धर ध्याये।
सफल तुम्हारे काज,
हो मुश्किलें आसान॥

सुप्रिय वैभव प्रेम अनुरागी,
शिव संग जिसकी लगी थी
ताड़ प्रताड दारुक अत्याचारी,
देता उसको त्रास था भारी
सुप्रिय को निर्लज्पुरी लेजाकर,
बंद किया उसे बंदी बनाकर
लेकिन भक्ति रुक नहीं पायी,
जेल में पूजा रुक नहीं पायी
दारुक एक दिन फिर वंहा आया,
सुप्रिय भक्त को बड़ा धमकाया
फिर भी श्रद्धा हुई न विचलित,
लगा रहा वंदन में ही चित
भक्तन ने जब शिवजी को पुकारा,
वहाँ सिंघासन प्रगट था न्यारा
जिस पर ज्योतिर्लिंग सजा था,
मष्तक अश्त्र ही पास पड़ा था
अस्त्र ने सुप्रिय जब ललकारा,
दारुक को एक वार में मारा
जैसा शिव का आदेश था आया,
जय शिवलिंग नागेश कहलाया
रघुवर की लंका पे चढ़ाई,
ललिता ने कला दिखाई
सौ योजन का सेतु बांधा,
राम ने उस पर शिव आराधा
रावण मार के जब लौट आये,
परामर्श को ऋषि बुलाये
कहा मुनियों ने ध्यान दीजौ,
प्रभु हत्या का प्रायश्चित्य कीजौ
बालू काली ने सीए बनाया,
जिससे रघुवर ने ये ध्याया
राम कियो जब शिव का ध्यान,
ब्रह्म दलन का धुल गया पाप
हर हर महादेव जयकारी,
भूमण्डल में गूंजे न्यारी
जहाँ चरना शिव नाम की बहती,
उसको सभी रामेश्वर कहते
गंगा जल से जहाँ जो नहाये,
जीवन का वो हर सख पाए
शिव के भक्तों कभी न डोलो,
जय रामेश्वर जय शिव बोलो

॥ दोहा ॥

पारवती बल्ल्भ शंकर,
कहे जो एक मन होये।
शिव करुणा से उसका,
करे न अनिष्ट कोई॥

देवगिरि ही सुधर्मा रहता,
शिव अर्चन का विधि से करता
उसकी सुदेहा पत्नी प्यारी,
पूजती मन से तीर्थ पुरारी
कुछ-कुछ फिर भी रहती चिंतित,
क्यूंकि थी संतान से वंचित
सुषमा उसकी बहिन थी छोटी,
प्रेम सुदेहा से बड़ा करती
उसे सुदेहा ने जो मनाया,
लगन सुधर्मा से करवाया
बालक सुषमा कोख से जन्मा,
चाँद से जिसकी होती उपमा
पहले सुदेहा अति हर्षायी,
ईर्ष्या फिर थी मन में समायी
कर दी उसने बात निराली,
हत्या बालक की कर डाली
उसी सरोवर में शव डाला,
सुषमा जपती शिव की माला
श्रद्धा से जब ध्यान लगाया,
बालक जीवित हो चल आया
साक्षात् शिव दर्शन दीन्हे,
सिद्ध मनोरथ सारे कीन्हे
वासित होकर परमेश्वर,
हो गए ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर
जो चुगन लगे लगन के मोती,
शिव की वर्षा उन पर होती
शिव है दयालु डमरू वाले,
शिव है संतन के रखवाले
शिव की भक्ति है फलदायक,
शिव भक्तों के सदा सहायक
मन के शिवाले में शिव देखो,
शिव चरण में मस्तक टेको
गणपति के शिव पिता हैं प्यारे,
तीनो लोक से शिव हैं न्यारे
शिव चरणन का होये जो दास,
उसके गृह में शिव का निवास
शिव ही हैं निर्दोष निरंजन,
मंगलदायक भय के भंजन
श्रद्धा के मांगे बिन पत्तियां,
जाने सबके मन की बतियां

॥ दोहा ॥

शिव अमृत का प्यार से,
करे जो निसदिन पान।
चंद्रचूड़ सदा शिव करे,
उनका तो कल्याण॥

Sampoorna Shiva Amritwani Lyrics in English

सम्पूर्ण शिव अमृतवाणी

 

Part- 1
kalpataru punyaataama, prem sudha shiv naam
hitakaarak sanjeevanee, shiv chintan aviraam
patik paavan jaise madhur, shiv rasan ke gholak
bhakti ke hansa hee chuge, motee ye anamol
jaise tanik suhaaga, sone ko chamakae
shiv sumiran se aatma, adhbhut nikharee jaaye
jaise chandan vrksh ko, daste nahin hai naag
shiv bhakto ke chole ko, kabhee lage na daag

om namah shivaay, om namah shivaay!!

daya nidhi bhooteshvar, shiv hai chatur sujaan
kan kan bheetar hai, base neel kanth bhagavaan
chandr chood ke trinetr, uma pati vishvaas
sharanaagat ke ye sada, kaate sakal klesh
shiv dvaare prapanch ka, chal nahin sakata khel
aag aur paanee ka, jaise hota nahin hai mel
bhay bhanjan nataraaj hai, damaroo vaale naath
shiv ka vandhan jo kare, shiv hai unake saath

om namah shivaay, om namah shivaay!!

laakho ashvamedh ho, sou ganga snaan
inase uttam hai kahee, shiv charanon ka dhyaan
alakh niranjan naad se, upaje aatma gyaan
bhatake ko raasta mile, mushkil ho aasaan
amar gunon kee khaan hai, chit shuddhi shiv jaap
satsangatee mein baith kar, karalo pashchaataap
lingeshvar ke manan se, siddh ho jaate kaaj
namah shivaay ratata ja, shiv rakhenge laaj

om namah shivaay om namah shivaay!!

shiv charanon ko chhoone se, tan man pavan hoye
shiv ke roop anoop kee, samata kare na koee
maha bali maha dev hai, maha prabhu maha kaal
asuraanakhandan bhakt kee, peeda hare tatkaal
sharva vyaapee shiv bhola, dharm roop sukh kaaj
amar ananta bhagavanta, jag ke paalan haar
shiv karata sansaar ke, shiv srshti ke mool
rom rom shiv ramane do, shiv na jaeeo bhool

om namah shivaay, om namah shivaay!!

Part – 2 & 3
shiv amrt kee paavan dhaara, dho detee har kasht hamaara
shiv ka kaaj sada sukhadaayee, shiv ke bin hai kaun sahaayee
shiv kee nisadin kee jo bhakti, denge shiv har bhay se mukti
maathe dharo shiv naam kee dhulee, toot jaayegee yam ki soolee
shiv ka saadhak duhkh na maane, shiv ko harapal sammukh jaane
saump dee jisane shiv ko dor, loote na usako paancho chor
shiv saagar mein jo jan doobe, sankat se vo hans ke joojhe
shiv hai jinake sangee saathee, unhen na vipada kabhee sataatee
shiv bhaktan ka pakade haath, shiv santan ke sada hee saath
shiv ne hai brhmaand rachaaya, teeno lok hai shiv ki maaya
jin pe shiv kee karuna hotee, vo kankad ban jaate motee
shiv sang taan prem kee jodo, shiv ke charan kabhee na chhodo
shiv mein manava man ko rang le, shiv mastak kee rekha badale
shiv har jan kee nas-nas jaane, bura bhala vo sab pahachaane
ajar amar hai shiv avinaashee, shiv poojan se kate chauraasee
yahaan vahaan shiv sarv vyaapak, shiv kee daya ke baniye yaachak
shiv ko deejo sachchee nishthaan, hone na dena shiv ko rushta
shiv hai shraddha ke hee bhookhe, bhog lage chaahe rookhe-sookhe
bhaavana shiv ko bas mein karatee, preet se hee to preet hai badhatee.
shiv kahate hai man se jaago, prem karo abhimaan tyaago.

॥ doha ॥
duniya ka moh tyaag ke shiv mein rahiye leen.
sukh-duhkh haani-laabh to shiv ke hee hai adheen..

bhasm ramaiya paarvatee vallbh, shiv phaladaayak shiv hai durlabh
maha kautukee hai shiv shankar, trishool dhaaree shiv abhayankar
shiv kee rachana dharatee ambar, devo ke svaamee shiv hai digambar
kaal dahan shiv roondan poshit, hone na dete dharm ko dooshit
durgaapati shiv girijaanaath, dete hai sukhon kee prabhaat
srshtikarta tripuradhaaree, shiv kee mahima kahee na jaatee
divya tej ke ravi hai shankar, pooje ham sab tabhee hai shankar
shiv sam aur koee aur na daanee, shiv kee bhakti hai kalyaanee
kahate munivar gunee sthaanee, shiv kee baaten shiv hee jaane
bhakton ka hai shiv priy halaahal, nekee ka ras baatante har pal
sabake manorath siddh kar dete, sabakee chinta shiv har lete
bam bhola avadhoot savaroopa, shiv darshan hai ati anupa
anukampa ka shiv hai jharana, harane vaale sabakee trshna
bhooto ke adhipati hai shankar, nirmal man shubh mati hai shankar
kaam ke shatru vish ke naashak, shiv mahaayogee bhay vinaashak
roodr roop shiv maha tejasvee, shiv ke jaisa kaun tapasvee
himagiree parvat shiv ka dera, shiv sammukh na tike andhera
laakhon sooraj kee shiv jyoti, shastron mein shiv upamaan hoshee
shiv hai jag ke srjan haare, bandhu sakha shiv isht hamaare
gau braahman ke ve hitakaaree, koee na shiv sa par upakaaree

॥ doha ॥
shiv karuna ke srot hai shiv se kariyo preet.
shiv hee param puneet hai shiv saache man meet..

shiv sarpo ke bhooshanadhaaree, paap ke bhakshan shiv tripuraaree
jataajoot shiv chandrashekhar, vishv ke rakshak kala kaleshvar
shiv kee vandana karane vaala, dhan vaibhav pa jaaye niraala
kasht nivaarak shiv kee pooja, shiv sa dayaalu aur na dooja
panchamukhee jab roop dikhaave, daanav dal mein bhay chha jaave
dam-dam damaroo jab bhee bole, chor nishaachar ka man dole
ghot ghaat jab bhang chadhaave, kya hai leela samajh na aave
shiv hai yogee shiv sanyaasee, shiv hee hai kailaas ke vaasee
shiv ka daas sada nirbheek, shiv ke dhaam bade ramaneek
shiv bhrkuti se bhairav janme, shiv kee moorat raakho man mein
shiv ka archan mangalakaaree, mukti saadhan bhav bhayahaaree
bhakt vatsal deen dyaala, gyaan sudha hai shiv krpaala
shiv naam kee nauka hai nyaaree, jisane sabakee chinta taaree
jeevan sindhu sahaj jo tarana, shiv ka harapal naam sumirana
taarakaasur ko maarane vaale, shiv hai bhakto ke rakhavaale
shiv kee leela ke gun gaana, shiv ko bhool ke na bisaraana
andhakaasur se dev bachaaye, shiv ne adbhut khel dikhaaye
shiv charano se lipate rahiye, mukh se shiv shiv jay shiv kahiye
bhasmaasur ko var de daala, shiv hai kaisa bhola bhaala
shiv teertho ka darshan keejo, man chaahe var shiv se leejo

॥ doha ॥
shiv shankar ke jaap se mit jaate sab rog.
shiv ka anugrah hote hee peeda na dete shok..

brhama vishnu shiv anugaamee, va hai deen heen ke svaamee
nirbal ke balaroop hai shambhu, pyaase ko jalaroop hai shambhu
raavan shiv ka bhakt niraala, shiv ko dee dash sheesh ki maala
garv se jab kailaash uthaaya, shiv ne angoothe se tha dabaaya
duhkh nivaaran naam hai shiv ka, ratn hai vo bin daam shiv ka
shiv hai sabake bhaagyavidhaata, shiv ka sumiran hai phaladaata
shiv dadheechi ke bhagavanta, shiv kee taree amar ananta
shiv ka sevaadaar sudarshan, saanse kar dee shiv ko arpan
mahaadev shiv aughadadaanee, baayen ang mein saje bhavaanee
shiv shakti ka mel niraala, shiv ka har ek khel niraala
shambhar naamee bhakt ko taara, chandrasen ka shok nivaara
pingala ne jab shiv ko dhyaaya, deh chhootee aur moksh paaya
gokarn kee chan chooka anaaree, bhav saagar se paar utaaree
anasuiya ne kiya aaraadhan, toote chinta ke sab bandhan
bel patto se pooja kare chandaalee, shiv kee anukampa huee niraalee
maarkandey kee bhakti hai shiv, durvaasa kee shakti hai shiv
raam prabhu ne shiv aaraadha, setu kee har tal gaee baadha
dhanushabaan tha paaya shiv se, bal ka saagar tab aaya shiv se
shree krshn ne jab tha dhyaaya, dash putron ka var tha paaya
ham sevak to svaamee shiv hai, anahad antaryaamee shiv hai

॥ doha ॥
deen dayaalu shiv mere, shiv ke rahiyo daas.
ghat ghat kee shiv jaanate, shiv par rakh vishvaas..

parashuraam ne shiv gun gaaya, keenha tap aur pharasa paaya
nirgun bhee shiv shiv niraakaar, shiv hai srshti ke aadhaar
shiv hee hote moortimaan, shiv hee karate jag kalyaan
shiv mein vyaapak duniya saaree, shiv kee siddhi hai bhayahaaree
shiv hai baahar shiv hee andar, shiv hee rachana saat samundr
shiv hai har ik ke man ke bheetar, shiv hai har ek kan kan ke bheetar
tan mein baitha shiv hee bole, dil kee dhadakan mein shiv dole
‘ham’kathaputalee shiv hee nachaata, nayanon ko par najar na aata
maatee ke rangadaar khilaune, saanval sundar aur salone
shiv ho jode shiv ho tode, shiv to kisee ko khula na chhode
aatma shiv paramaatma shiv hai, dayaabhaav dharmaatma shiv hai
shiv hee deepak shiv hee baatee, shiv jo nahin to sab kuchh maatee
sab devo mein jyeshth shiv hai, sakal guno mein shreshth shiv hai
jab ye taandav karane lagata, brhmaand saara darane lagata
teesara chakshu jab jab khole, traahi traahi yah jag bole
shiv ko tum prasann hee rakhana, aastha lagn banaaye rakhana
vishnu ne kee shiv kee pooja, kamal chadhaoon man mein sujha
ek kamal jo kam tha paaya, apana sundar nayan chadhaaya
saakshaat tab shiv the aaye, kamal nayan vishnu kahalaaye
indradhanush ke rango mein shiv, santo ke satsangon mein shiv

॥ doha ॥
mahaakaal ke bhakt ko maar na sakata kaal.
dvaar khade yamaraaj ko shiv hai dete taal..

yagy soodan maha raudr shiv hai, aanand moorat natavar shiv hai
shiv hee hai shmashaan ke vaasee, shiv kaaten mrtyulok kee phaansee
vyaaghr charam kamar mein sohe, shiv bhakton ke man ko mohe
nandee gan par kare savaaree, aadinaath shiv gangaadhaaree
kaal ke bhee to kaal hai shankar, vishadhaaree jagapaal hai shankar
mahaasatee ke pati hai shankar, deen sakha shubh mati hai shankar
laakho shashi ke sam mukh vaale, bhang dhatoore ke matavaale
kaal bhairav bhooto ke svaamee, shiv se kaampe sab phalagaamee
shiv hai kapaalee shiv bhasmaangee, shiv kee daya har jeev ne maangee
mangalakarta mangalahaaree, dev shiromani mahaasukhakaaree
jal tatha vilv kare jo arpan, shraddha bhaav se kare samarpan
shiv sada unakee karate raksha,satyakarm kee dete shiksha
ling par chandan lep jo karate, unake shiv bhandaar hain bharate
64 yoganee shiv ke bas mein, shiv hai nahaate bhakti ras mein
vaasuki naag kanth kee shobha, aashutosh hai shiv mahaadeva
vishvamoorti karunaanidhaan, maha mrtyunjay shiv bhagavaan
shiv dhaare rudraaksh kee maala, neeleshvar shiv damaroo vaala
paap ka shodhak mukti saadhan, shiv karate nirdayee ka mardan

॥ doha ॥
shiv sumarin ke neer se dhool jaate hai paap.
pavan chale shiv naam kee udate dukh santaap..

panchaakshar ka mantr shiv hai, saakshaat sarveshvar shiv hai
shiv ko naman kare jag saara, shiv ka hai ye sakal pasaara
ksheer saagar ko mathane vaale, rddhi seedhee sukh dene vaale
ahankaar ke shiv hai vinaashak, dharm-deep jyoti prakaashak
shiv bichhuvan ke kundaladhaaree, shiv kee maaya srshti saaree
mahaananda ne kiya shiv chintan, rudraaksh maala kinhee dhaaran
bhavasindhu se shiv ne taara, shiv anukampa aparampaara
tri-jagat ke yash hai shivajee, divy tej gaureesh hai shivajee
mahaabhaar ko sahane vaale, vair rahit daya karane vaale
gun svaroop hai shiv anoopa, ambaanaath hai shiv taparoopa
shiv chandeesh param sukh jyoti, shiv karuna ke ujjval motee
punyaatma shiv yogeshvar, mahaadayaalu shiv sharaneshvar
shiv charanan pe mastak dhariye, shraddha bhaav se archan kariye
man ko shivaala roop bana lo, rom rom mein shiv ko rama lo
maathe jo bhakt dhool dharenge, dhan aur dhan se kosh bharenge
shiv ka baak bhee banana jaave, shiv ka daas param pad paave
dashon dishaon me shiv drshti, sab par shiv kee krpa drshti
shiv ko sada hee sammukh jaano, kan-kan beech base hee maano
shiv ko saumpo jeevan naiya, shiv hai sankat taal khivaiya
anjali baandh kare jo vandan, bhay janjaal ke toote bandhan

॥ doha ॥
jinakee raksha shiv kare, maare na usako koy.
aag kee nadiya se bache, baal na baanka hoy..

shiv daata bhola bhandaaree, shiv kailaashee kala bihaaree
sagun brahm kalyaan karta, vighn vinaashak baadha harta
shiv svaroopinee srshti saaree, shiv se prthvee hai ujiyaaree
gagan deep bhee maaya shiv kee, kaamadhenu hai chhaaya shiv kee
ganga mein shiv , shiv me ganga, shiv ke taare turat kusanga
shiv ke kar mein saje trishoola, shiv ke bina ye jag nirmoola
svarnamayee shiv jata niraalee, shiv shambhoo kee chhata niraalee
jo jan shiv kee mahima gaaye, shiv se phal manavaanchhit paaye
shiv pag pankaj savarg samaana, shiv paaye jo taje abhimaana
shiv ka bhakt na duhkh me dolen, shiv ka jaadoo sir chadh bole
paramaanand anant svaroopa, shiv kee sharan pade sab koopa
shiv kee japiyo har pal maala, shiv kee najar me teeno qaala
antar ghat me ise basa lo, divy jot se jot mila lo
nam: shivaay jape jo svaasa, pooreen ho har man kee aasa

॥ doha ॥
paramapita paramaatma pooran sachchidaanand.
shiv ke darshan se mile sukhadaayak aanand..

shiv se bemukh kabhee na hona, shiv sumiran ke motee pirona
jisane bhajan hai shiv ke seekhe, usako shiv har jagah hee dikhe
preet mein shiv hai shiv mein preetee, shiv sammukh na chale aneeti
shiv naam kee madhur sugandhee, jisane mast kiyo re nandee
shiv nirmal ‘nirdosh’‘sanjay’ niraale, shiv hee apana virad sambhaale
param purush shiv gyaan puneeta, bhakto ne shiv prem se jeeta

॥ doha ॥
aantho pahar araadheey jyotirling shiv roop.
nayanan beech basaiye shiv ka roop anoop..

ling may saara jagat hain, ling dharatee aakaash
ling chintan se hot hain sab paapo ka naash
ling pavan ka veg hain, ling agni kee jyot
ling se paataal hain ling varun ka strot
ling se hain vanaspati, ling hee hain phal phool
ling hee ratn svaroop hain, ling maatee nirdhoop
ling hee jeevan roop hain, ling mrtyulingakaar
ling megha ghanaghor hain, ling hee hain upachaar
jyotirling kee saadhana karate hain teeno log
ling hee mantr jaap hain, ling ka room shlok
ling se bane puraan, ling vedo ka saar
ridhiya siddhiya ling hain, ling karata karataar
praatakaal ling poojiye poorn ho sab kaaj
ling pe karo vishvaas to ling rakhenge laaj
sakal manorath se hot hain dukho ka ant
jyotirling ke naam se sumirat jo bhagavant
maanav daanav rshimuni jyotirling ke daas
sarv vyaapak ling hain pooree kare har aas
shiv rupee is ling ko pooje sab avataar
jyotirlingon kee daya sapane kare saakaar
ling pe chadhane vaidy ka jo jan le parasaad
unake hraday mein baje… shiv karoona ka naad
mahima jyotirling kee jaenge jo log
bhay se mukti paenge rog rahe na shob
shiv ke charan saroj too jyotirling mein dekh
sarv vyaapee shiv badale bhaagy teere
daareen jyotirling pe ganga jal kee dhaar
karenge gangaadhar tujhe bhav sindhu se paar
chit siddhi ho jae re lingo ka kar dhyaan
ling hee amrt kalash hain ling hee daya nidhaan

om namah shivaay om namah shivaay!!

Part- 4 & 5
jyotirling hai shiv kee jyoti, jyotirling hai daya ka motee
jyotirling hai ratnon kee khaan, jyotirling mein rama jahaan
jyotirling ka tez niraala, dhan sampati dene vaala
jyotirling mein hai nat naagar, amar gunon ka hai ye saagar
jyotirling kee kee jo seva, gyaan paan ka paoge meva
jyotirling hai pita saamaan, sashti isakee hai santaan
jyotirling hai isht pyaare, jyotirling hai sakha hamaare
jyotirling hai naareeshvar, jyotirling hai shiv vimaleshvar
jyotirling gopeshvar daata, jyotirling hai vidhi vidhaata
jyotirling hai sharrendashvar svaamee, jyotirling hai antaryaamee
satayug mein ratno se shobhit, dev jaano ke man ko mohit
jyotirling hai atyant sundar, chhatta isakee brahmaand andar
treta yug mein svarn sajaata, sukh sooraj ye dhyaan dhvajaata
sakl srshti man kee karatee, nisadin pooja bhajan bhee karatee
dvaapar yug mein paaras nirmit, gunee gyaanee sur nar sevee
jyotirling sabake man ko bhaata, mahamaarak ko maar bhagaata
kalayug mein paarthiv kee moorat, jyotirling nandakeshvar soorat
bhakti shakti ka varadaata, jo daata ko hans banata
jyotirling par pushp chadhao, kesar chandan tilak lagao
jo jaan karen doodh ka arpan, ujale ho unake man darpan

॥ doha ॥
jyotirling ke jaap se tan man nirmal hoye.
isake bhakton ka manava kare na vichalit koee..

somanaath sukh karane vaala, som ke sankat harane vaala
daksh shraap se som chhudaaya, som hai shiv kee adbhut maaya
chandr dev ne kiya jo vandan, som ne kaate duhkh ke bandhan
jyotirling hai sada sukhadaayee, deen heen ka sahaayee
bhakti bhaav se ise jo dhyaaye, man vaanee sheetal tar jaaye
shiv kee aatma roop som hai prabhu paramaatma roop som hai
yanha upaasana chandr ne kee, shiv ne usakee chinta har lee
isake rath kee shobha nyaaree, shiv amrt saagar bhavabhayadhaaree
chandr kund mein jo bhee nahaaye, paap se ve jan mukti pae
chh: kushth sab rog mitaaye, naaya kundan pal mein banaave
malikaarjun hai naam nyaara, shiv ka paavan dhaam pyaara
kaartikey hai jab shiv se roothe, maata pita ke charan hai chhoote
shree shailesh parvat ja pahunche, kasht bhay paarvatee ke man mein
prabhu kumaar se chalee jo milane, sang chalana maana shankar ne
shree shailesh parvat ke oopar, gae jo donon uma maheshvar
unhen dekhakar kaartikey uth bhaage, aur umaar parvat par viraaje
janha shrit hue paaravatee shankar, kaam banaave shiv ka sundar
shiv ka arjan naam suhaata, malika hai meree paaravatee maata
ling roop ho jahaan bhee rahate, malikaarjun hai usako kahate
manavaanchhit phal dene vaala, nirbal ko bal dene vaala

॥ doha ॥
jyotirling ke naam kee le man maala pher.
manokaamana pooree hogee lage na chin bhee der..

ujjain kee nadee kshipra kinaare, braahman the shiv bhakt nyaare
dooshan daity sataata nisadin, garm dvesh dikhalaata jis din
ek din nagaree ke nar naaree, dukhee ho raakshas se atihaaree
param siddh braahman se bole, daity ke dar se har koee dole
dusht nisaachar chhutakaara, paane ko yagy pyaara
braahman tap ne rang dikhae, prthvee phaad mahaakaal aaye
raakshas ko hunkaar maara, bhay bhakton ubaara
aagrah bhakton ne jo keenha, mahaakaal ne var tha deena
jyotirling ho rahoon yanha par, ichchha poorn karoon yanha par
jo koee man se mujhako pukaare usako doonga vaibhav saare
ujjainee raaja ke paas mani thee adbhut badee hee khaas
jise chheenane ka shadayantr, kiya tha kalyon ne hee milakar
mani bachaane kee aasha mein, shatru bhee kaee the abhilaasha mein
shiv mandir mein dera jamaakar, kho gae shiv ka dhyaan lagaakar
ek baalak ne had hee kar dee, us raaja kee dekha dekhee
ek saadhaaran sa patthar lekar, pahuncha apanee kutiya bheetar
shivaling maan ke ve paashaan, poojane laga shiv bhagavaan
usakee bhakti chumbak se, kheenche hee chale aaye jhat se bhagavaan
omakaar omakaar kee rat sunakar, pratishthit omakaar banakar
omkaareshvar vahee hai dhaam, ban jae bigade vanha pe kaam
nar naaraayan ye do avataar, bholenaath ko tha jinase pyaar
patthar ka shivaling banaakar, namah shivaay kee dhun gaakar

॥ doha ॥
shiv shankar omakaar ka rat le manava naam.
jeevan kee har raah mein shivajee lenge kaam..

nar naaraayan ye do avataar, bholenaath ko tha jinase pyaar
patthar ka shivaling banaakar, namah shivaay kee dhun gaakar
kaee varsh tap kiya shiv ka, pooja aur jap kiya shankar ka
shiv darshan ko ankhiya pyaasee, aa gae ek din shiv kailaashee
nar naaraayan se shiv hai bole, daya ke mainne dvaar hai khole
jo ho ichchha lo varadaan, bhakt ke mein hai bhagavaan
karavaane kee bhakt ne vinatee, kar do pavan prabhu ye dharatee
taras raha ye jaar ka khand ye, ban jaaye amrt uttam kund ye
shiv ne unakee maanee baat, ban gaya benee kedaanaath
mangaladaayee dhaam shiv ka, goonj raha janha naam shiv ka
kumbhakaran ka beta bheem, brahmavaar ka hua bali aseer
indradev ko usane haraaya, kaam roop mein garajata aaya
kaid kiya tha raaja sudakshan, kaaraagaar mein kare shiv poojan
kisee ne bheem ko ja batalaaya, krodh se bhar ke vo vanha aaya
paarthiv ling par maar hathoda, jag ka paavan shivaling toda
prakat hue shiv taandav karate, laga bhaagane bheem tha dar ke
damaroo dhaar ne dekar jhataka, dhara pe paapee daanav pataka
aisa roop vikraal banaaya, pal mein raakshas maar giraaya
ban gae bhole jee prayalankaar, bheem maar ke hue bheemashankar
shiv kee kaisee alaukik maaya, aaj talak koee jaan na paaya

har har har mahaadev ka mantr padhen har din re
duhkh se peedak mandir pa jaayega chain
parameshvar ne ek din bhakton, jaanana chaaha ek mein do ko
naaree purush ho prakate shivajee, parameshvar ke roop hain shivajee
naam purush ka ho gaya shivajee, naaree banee thee amba shakti
parameshvar kee aagya paakar, tapee bane donon samaadhi lagaakar
shiv ne adbhut tez dikhaaya, paanch kosh ka nagar basaaya
jyotirmay ho gaya aakaash, nagaree siddh huee purush ke paas
shiv ne kee tab srshti kee rachana, padha us nagaron ko kashee banana
paath paush ke kaaran tab hee, isako kahate hain panchakoshee
vishveshvar ne ise basaaya, vishvanaath ye tabhee kahalaaya
yanha naman jo man se karate, siddh manorath unake hote
brahmagiri par tap gautam lekar, pae kitano ke siddh lekar
trsha ne kuchh rshi bhatakae, gautam ke vairee ban aaye
dvesh ka sabane jaal bichhaaya, gau hatya ka iljaam lagaaya
aur kaha tum praayashchitt karana, svargalok se ganga laana
ek karod shivaling lagaakar, gautam kee tap jyot ujaagar
prakat shiv aur shiva vanha par, maanga rshi ne ganga ka var
shiv se ganga ne vinay kee, aise prabhu mein yanha na rahoongee
jyotirling prabhu aap ban jae, phir meree nirmal dhara bahaaye
shiv ne maanee ganga kee vinatee, ganga baanee jhatapat gautamee
triyambakeshvar hai shivajee viraaje, jinaka jag mein danka baaje

॥ doha ॥
ganga dhar kee archana kare jo manchit laaye.
shiv karuna se unapar aanch kabhee na aaye..

raakshas raaj mahaabalee raavan, ne jab kiya shiv tap se vandan
bhaye prasann shambhoo pragate, diya varadaan raavan pag padhake
jyotirling lanka le jao, sada hee shiv shiv jay shiv gao
prabhu ne usakee archan maanee, aur kaha rahe saavadhaanee
raste mein isako dhara pe na dharana, yadi dharega to phir na uthana
shivaling raavan ne uthaaya, garudadev ne rang dikhaaya
use prateet huee laghushanka, usane khoya usane man ka
vishnu braahman roop mein aaye, jyotirling diya use thamae
raavan nibhyaat ho jab aaya, jyotirling prthvee par paaya
jee bhar usane jor lagaaya, gaya na phir se uthaaya
ling gaya paataal mein us pal, adh aangal raha bhoomi oopar
pooree raat lankesh chipakaaya, chandrakoop phir koop banaaya
usame teerthon ka jal daala, namo shivaay kee pheree maala
jal se kiya tha ling abhishek, jay shiv ne bhee drshy dekha
ratn poojan ka use un keenha, natavar pooja ka use var deena
pooja kari mere man ko bhaave, vaidhanaath ye sada kahaaye
manavaanchhit phal milate rahenge, sookhe upavan khilate rahenge
ganga jal jo kaanvad laave, bhaktajan mere param pad paave
aisa anupam dhaam hai shiv ka, muktidaata naam hai shiv ka
bhaktan kee yanha haree banaaye, bol bam bol bam jo na gaaye

baidhanaath bhagavaan kee pooja karo dhar dhyaaye
saphal tumhaare kaaj ho mushkilen aasaan
supriy vaibhav prem anuraagee, shiv sang jisakee lagee thee
taad prataad daaruk atyaachaaree, deta usako pyaas ka maaree
supriy ko nirlajpuree lejaakar, band kiya use bandee banaakar
lekin bhakti chhut nahin paayee, jel mein pooja ruk nahin paayee
daaruk ek din phir vanha aaya, supriy bhakt ko bada dhamakaaya
phir bhee shraddha huee na vichalit, laga raha vandan mein hee chit
bhaktan ne jab shivajee ko pukaara, vanha singhaasan pragat tha nyaara
jis par jyotirling saja tha, mashtak ashtr hee paas pada tha
astr ne supriy jab lalakaara, daaruk ko ek vaar mein maara
jaisa shiv ka aadesh tha aaya, jay shivaling naagesh kahalaaya
raghuvar kee lanka pe chadhaee , lalita ne kala dikhaee
sau yojan ka setu baandha, raam ne us par shiv aaraadha
raavan maar ke jab laut aaye, paraamarsh ko rshi bulaaye
kaha muniyon ne dhayaan deejau, prabhu hatya ka praayashchity keejau
baaloo kaalee ne seee banaaya, jisase raghuvar ne ye dhyaaya
raam kiyo jab shiv ka dhyaan, brahm dalan ka dhool gaya paap
har har mahaadev jay kaaree, bhoomandal mein goonje nyaaree
janha charana shiv naam kee bahatee, usako sabhee raameshvar kahate
ganga jal se yanha jo nahaaye, jeevan ka vo har sakh pae
shiv ke bhakton kabhee na dolo jay raameshvar jay shiv bolo

paaravatee ballbh shankar kahe jo ek man hoye
shiv karuna se usaka kare na anisht koee
devagiri hee sudharma rahata, shiv archan ka vidhi se karata
usakee sudeha patnee pyaaree, poojatee man se teerth puraaree
kuchh kuchh phir bhee rahatee chintit, kyoonki thee santaan se vanchit
sushama usakee bahin thee chhotee, prem sudeha se bada karatee
use sudeha ne jo manaaya, lagan sudharma se karavaaya
baalak sushama kokh se janma, chaand se jisakee hotee upama
pahale sudeha ati harshaayee, eershya phir thee man mein samaayee
kar dee usane baat niraalee, hatya baalak kee kar daalee
usee sarovar mein shav daala, sushama japatee shiv kee maala
shraddha se jab dhyaan lagaaya, baalak jeevit ho chal aaya
saakshaat shiv darshan deenhe, siddh manorath sare keenhe
vaasit hokar parameshvar, ho gae jyotirling ghushmeshvar
jo chugan lage lagan ke motee, shiv kee varsha un par hotee
shiv hai dayaalu damaroo vaale, shiv hai santan ke rakhavaale
shiv kee bhakti hai phaladaayak, shiv bhakton ke sada sahaayak
man ke shivaale mein shiv dekho, shiv charan mein mastak teko
ganapati ke shiv pita hain pyaare, teeno lok se shiv hain nyaare
shiv charanan ka hoye jo daas, usake grh mein shiv ka nivaas
shiv hee hain nirdosh niranjan, mangaladaayak bhay ke bhanjan
shraddha ke maange bin pattiyaan, jaane sabake man kee batiyaan

॥ doha ॥
shiv amrt ka pyaar se kare jo nisadin paan.
chandrachood sada shiv kare unaka to kalyaan॥

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